शायद यहाँ मुझे ये बताने की जरूरत नही है कि सट्टा , एक जुआ खेल है जिसके बारे हमारे बुजुर्ग लोग कहते आये है कि जो भी इस खेल की लत में आया है बरबाद हुए बिना वापस नहीं निकल पाया है। मैंने स्वयं बहुतो को जुआ की लत से बरबाद होते देखा है।
मै पिछले कुछ वर्षो से IPL में सट्टे की कहानी तरह तरह के लोगो से सुनता आ रहा हूँ। ओर मुझे उन सब कहानीयों पर भरोशा भी है क्योंकि सभी कहानी विश्वास-पात्र लोगो के माध्यम से बतायी गयी थी। वैसे सट्टेबाज़ी IPL के अलावा भी वर्ष भर चलने वाली सतत - गैर कानूनी प्रक्रिया है। लोगो से मालूम हुआ था की IPLके मैच में सट्टे में पैसा लगाने के लिए कही जाने की भी आवश्यकता नही और न अपना नाम पता आदि बताने की कोई जरूरत है। केवल एजेंट के माध्यम से रकम बता दो जो भी लगनी हो और आपका पैसा लग जाता है तथा इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा ईमानदारी बरती जाती है जैसे की लगाया हुआ पैसा मैच का परिणाम आने के बाद वसूला या जीता हुआ पैसा लौटाया जाता है। एक-एक पाई का हिसाब एजेंट के माध्यम से अगले दिन ही हो जाता है। फ़ोन से सारा खेल चलता है। पर आज इस सारे खेल का एक उदाहरण देखा और उसने मुझे ये सोचने को मजबूर कर दिया कि आखीर किस हद तक ये सट्टा रूपी घातक वायरस अपने पैर पूरे समाज में पसार चुका है कि इसकी चपेट में आज पढ़े-लिखे नौजवान, व्यवसायी, अनपढ लोग, कमजोर मजदूर वर्ग, और आज देखा कि बच्चे भी आ चुके है।
आज कल मै मेरठ में जहाँ रहता हूँ उसी गली में एक और मकान है जिसमे मेरा एक सहपाठी भी रहता है। इसी कारण उस मकान में अक्सर आना जाना लगा रहता है जिस के कारण उस मकान के सभी सदस्यों से जान पहचान सी हो गयी है। उसी मकान में मकान स्वामी का एक लड़का है जिसकी यही कोई 15 साल की उम्र होगी तथा कक्षा दस का छात्र है। पिछले दिनो ही उसी मकान के कुछ और छात्रो ने मुझे बताया था कि " भैया , लगता है छोटू(मकान स्वामी का पुत्र ) सट्टेबाजी में पड गया है " मुझे ये सुन के विश्वास नही हुआ और उन्हें डांट लगाई की क्यों किसी बच्चे को उड़ा रहे हो। पर उन छात्रो ने मुझे बताया कि भइया आज कल भुत लड़के आते है इसके पास , और आजकल इसने मोबाइल भी ले लिया है तथा जो भी फ़ोन आते है बाहर जा कर बात करता है जबकि पहले ऐसा नहीं था। इस बार मुझे कुछ शक सा हो गया क्योंकि कुछ दिन पहले ही छोटू ने, एक उसकी हमउम्र लड़के के साथ, रास्ते में ये पुछा था की "भइया आज हैदराबाद या पंजाब में से कौन जीतेगा ?" तब मैने साधारण यही सोचा था की ऐसे ही पूछ लिया होगा। पर अब मुझे शक हो चूका था और मैंने सोचा कि ये अभी बच्चा है इसे गलत-सही का ज्ञान नही है इसे समझाऊंगा मैं तथा हो सकेगा तो इसके हमने बापू से भी शिकायत करूंगा अगर समझाने से नही माना तो। अगले ही दिन मैने तथा मेरे सहपाठी ने उसे समझाया तथा उससे तमाम गिरोह के बारे में पूछा तो उसने(छोटू) बोला की "भइया मै तो केवल एजेंट हूँ तथा जीतने वाले लोगो से जीत का 25% लेता हूँ हरने वालो से कुछ नही लेता तथा जो लोग पैसा लगवाना चाहते है उनकी जानकारी आगे पहुंचा देता हूँ "
ख़ैर वो हमारे डांटने से वो कुछ डर गया और बोला पापा से मत कहना मै ये सब आज ही छोड़ दूँगा पर हमने उसके बापू के कण में बात दल दी। ये किस्सा तो यही खत्म हो गया पर अभी थोड़ी देर पहले जब बाहर दरवाज़े पर खडा था तो एक और गली का लड़का आकर खडा हो गया मेरे पास और वही IPL का किस्सा शुरु कर की "भाई साहब कौन जीतेगा ?" मैने भी तुरन्त पूछ लिया "सट्टा लगाता है तू भी ?" वो बोला हाँ भइया। तथा शान से सिर उठा के बोला कि रात 500 रूपये हार गया मै। कुछ ही देर में एजेंट भी आ लिए हार का पैसा वसूलने को उस लड़के से, जो की मेरे पास खडा था । वो ही, एजेंटो की 15 साल के करीब की उम्र और तीन छात्र थे वो एजेंट लडके, जिन्हें देखने से मालूम होता था कि कही से ट्यूशन पढ़ के आ रहे होंगे सोचा की पैसे भी उघाते चलें । पैसे लिये और चल दिये चलते-चलते आज के भाव भी बता गये की "आज तो भाव ही नही है लगाने का कोई फायदा भी नही है"।
इस सारे वाकये ने मुझे ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि किस कदर ये सट्टा हमारी नई पीढी को बरबाद करने पर आमदा है. इस सट्टे बाजी में इन सब अबोध बच्चो को क्यों फंसाया जा रहा है ? आखिर इन के आने वाले भविष्य से क्यों खेल रहे है लोग? ये बच्चे जो की नादान है उन्हें ही हथियार बना लिया गया है इस धन्धे का ताकि किसी को शक भी न हो और कम भी चल निकले। ये छोटू जैसे बच्चे हमारे आप के छोटे भाई भी हो सकते है। और क्यों पुलिस या सरकार इस सब को रोकने का उपाय नही कर रही है ? जिम्मेदारी हमारी और आप की भी है की आसपास नज़र रखे ताकि कोई इस प्रलोभन की गिरफ्त में न फंसे।
यादव जी, आईपीएल जैसे आयोजन का मकसद ही यही था..... 70 दिन तक सट्टेबाजी.......
जवाब देंहटाएंजी हाँ, शत-प्रतिशत आप से सहमत हूँ , पर आश्चर्य ये है की ये सब सरकार से संरक्षण प्राप्त है
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